Thursday, February 7, 2019

प्रियतम

गुलों की ए फ़िजा बोलो तुम्हें किसने तो है भेजा,
कहा किसने संदेशा ये मेरे प्रियतम तक ले जा,
ये तेरी गुमसुदी मुझको हर घड़ी है रही तड़पा,
संदेशा है जो प्रियतम का वो सच-सच है मुझे कह जा।

फ़िज़ाओं के तो पीछे ही आ रहा कारवाँ देखा,
किसी के आज आदर में झुका वो आसमाँ देखा,
दिशायें आज तो चारों मिल रहीं एक में मानो,
जब प्रियतम को मैंने तो तिरंगे में लिपटा देखा।

                                  -अनुराधा यादव

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