Sunday, February 10, 2019

नारी

सहो मत ज़ुल्म ज़माने का, रखो अपने मे तुम वीरता,
लड़ो हक के लिए अपने, बनो अपने में तुम मीरा,
जमाने की इन रूढ़ियों से तुम्हें तो मुक्त है होना,
तुम्हें फिर से तो है बनना , रानी लक्ष्मी और इंदिरा।

निम्न समझे जो नारी को, गलतफहमी वो रहता,
आदि और अंत है नारी, सृष्टि की तो है निर्माता,
ओ ! नारी, शक्ति को अपनी तुझे फिर से है लौटाना,
दिखाना है तुझे जग को, कि कितनी है तेरी क्षमता।

मिटा दे देश से अपने,विखंडित होने का खतरा,
वही कर कर्म तू अपना, बढ़े जिससे अग्रसरता,
तेरी हर चाह हो ऐसी, शर्मिंदा ना पड़े होना,
ओ! नारी अबला से तुझको,अब बनना है सबला।

                                 -अनुराधा यादव

No comments:

Post a Comment