Wednesday, February 13, 2019

भारत की संस्कृति

जिस देश हमने जनम लिया,
जहां हमने अपना कर्म किया,
उस देश की सोंधी माटी में,
हर एक नदी हर घाटी में,
प्रेम, विनय और सहिष्णुता,
सहयोग , समन्वय और एकता,
की खुशबू कभी आती थी,
इस विश्व के हर देश को ,
यह खुशबू लुभाती थी,
पुरुषोत्तम राम यहां जनमें,
आदर्श स्थपित किया जग में,
अनुशासनप्रिय वो सत्यनिष्ठ,
क्षमाशील, आज्ञाकारी,
कर्तव्यनिष्ठ वो युगद्रष्टा,
विनयशील थे सदाचारी,
कृष्णा ने यहां स्वयं आकर,
हर घर में तो जा जा कर,
करना प्रेम सिखाया था,
तब भारत के हर प्राणी ने,
मिल प्रेम राग तो गाया था,
भारत की संस्कृति है महान,
सुसभ्य समुन्नत और जग त्राण,
पर आज के भारतवासी को,
अपनी संस्कृति का भान नहीं,
है रखा गौण इस जीवन में,
मिलता है तभी निदान नहीं,
अभी दूसरों की संस्कृति है हावी,
पर क्या होगा जीवन भावी,
इसका तो अभी उन्हें ज्ञान नहीं,
पर इन सबके परिणामों से,
आएगा बचाने कोई वरदान नहीं।

                       -अनुराधा यादव

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