Thursday, February 21, 2019

भाष्कर

अद्भुत तेज व्याप्त उसमें,
रोशन करता जग पलभर में,
अगाध रश्मियों को साथ लिए,
आगे चलता है वह सब में।
तिमि से तो शत्रुता है उसकी,
उस तेज पुंज के आगे तो,
तिमि की ठहर प्रबलता नहीं सकती,
जग में विसरित व्यापकता से,
पालक वह है निजक्षमता से,
भोजन बनवाता पौधों का,
जो जीवों को मिलता सुगमता से,
बिन सूर्य जीवन की कल्पना नहीं,
तिमिरमयी इस पृथ्वी पर,
जीवों की कोई रचना ही नहीं,
यदि सूर्य नही ब्रह्मांड में है,
तो जीवन का कोई असितित्व नहीं,
अद्भुत क्षमता के कारण ही,
देव की पदवी दी उसको,
भारत में सभी तो जग कर,
करबद्ध नमन करते उसको,
स्नान ध्यान पूजा करके,
जल अर्घ्य रोज देते उसको।

                  -अनुराधा यादव

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