रुन्द गया गला नम आँख हुई,
भारत माँ ने सुधि बुधि खोई,
जब बेटों की काया के चीथड़े,
भारत माँ की गोदी में पड़े,
गंगा मइया भी सिसक रही,
बेटों के आलिंगन करे कैसे,
जो देश की सेवा में तत्पर थे,
उनका ये त्याग सहे कैसे,
मन है विचलित हर भारतीय का,
सबका तो लहू है खौल उठा,
उन वीरों को जिसने जन्म दिया,
उन माताओं की गोद कहे,
जीवनसाथिन जो साथ चले,
उसकी तो सूनी माँग कहे,
बच्चे जो चलते उंगली पकड़,
उन सबका तो बचपन ये कहे,
वो पिता जो आस लिए बैठा,
उसके तो गुमसुद चक्षु कहें,
वीरों की शहादत व्यर्थ न जाये,
हर भारतीय ऐसे कर्म करे,
आतंकवाद को सबक सिखाये,
हर भरतीय कमर कसकर बैठे,
हर वीर का बदला लेने को,
जिम्मेदार जो वीरों की शहादत का,
उसको तो दंड दिलाने को,
भारत ने जो वीर शक्ति गंवाई,
हम कर पाएंगे न भरपाई,
पर खून का बदला खून होगा
जिसमें न करेंगे कमताई।
-अनुराधा यादव
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