Friday, February 22, 2019

घर

मेरा जिसमें स्वर्ग समाता,
भाई, बहन,पिता और माता,
वो पावन मंदिर के जैसा,
घर मेरा जो मुझको भाता।

जीने की वो कला सिखाता,
जीवन में स्थायित्व है लाता,
पम्परायें रखे संजोकर,
घर मेरा जो मुझको भाता।

बचपन की हर याद संजोता,
जीवन की माला में पिरोता,
पूर्व जनों का ज्ञान समाये,
घर मेरा जो मुझको भाता।

मन कभी अशान्त हो जाता,
तब मन में वह शांति है लाता,
सद्भावना मुझमें लाये,
घर मेरा जो मुझको भाता।

निष्ठा,प्रेम का पाठ पढ़ाता,
जीवन में सद्मार्ग दिखाता,
माता पिता का प्रेम समाये,
घर मेरा जो मुझको भाता।

               -अनुराधा यादव

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