Tuesday, February 5, 2019

प्राण वायु

जिसकी है हरदम जरूरत,
इस मुदित संसार में,
जो मदद करती हमारी,
रक्त के संचार में,
वो प्राण वायु व्याप्त है,
इस समूचे संसार में,
वो हमारी देह को,
शक्तियों से भरती है,
हमको तो सारे दोषों,
से दूर रखती है,
पर आज के संसार में,
प्राण वायु की कमी हुई,
जो शेष रह गई है,
वो अशुद्धता में दबी हुई,
त्राण करती थी प्राण का,
वो आज जीवन है छींनती,
हर जीव के शरीर को,
रोगों से है बींधती,
इस वायु की अशुद्धता का,
कारण बस मानव है,
पूर्ण करने को अपनी जरूरत,
वो बन गया आज दानव है,
मनुष्य अपनी स्वार्थता में,
इतना तो अंधा है,
वो प्रकृति को नष्ट करना,
मानता तो धंधा है।

               -अनुराधा यादव
             

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