Monday, February 11, 2019

विवाह संस्कार

है बंधन पवित्र वो,
दो प्रेमियों का चित्र वो,
विश्वास की एक डोर से,
रहते बँधे मन,हृदय दो,
उस संस्कार से है पनपती,
सुसभ्य,विकसित संस्कृति,
सत्य और विश्वास के,
सदगुणों से परिपूर्ण है,
प्रेम तो इस रीति के,
लिये तो महत्वपूर्ण है,
रिश्तों और नातों में,
स्थान इसका उच्च है,
हम जानते, हर एक रिश्ता,
समक्ष इसके तुच्छ है,
संसार के संचालन में,
सृष्टि के पालन में,
ये ही तो है सहायक,
पावन पतित फलदायक,
बंधन बंधा जो प्रेम का,
सत्य व्रत और नेम का,
वो विवाह संस्कार है,
जिससे पुनीत संसार है।

         -अनुराधा यादव

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