हर रोज थके हारे नैना,
जिनको पड़ता सब कुछ सहना,
देखते हैं अतिक्रमण मानव का,
क्योंकि आज के इस युग में,
मानव को खतरा मानव का,
गुरुदासपुरा, अनंतनाग,
उरी और अब पुलवामा,
आतंकवाद ने खुलकर तो,
है खूब मचाया हंगामा,
मानवता को शर्मसार किया,
भारत के वीर सपूतो को,
मौत के घाट उतार दिया,
ओ धर्म के रखवालों सुन लो,
पहले कुछ सद्कर्म तो तुम कर लो
अल्लाह के बनाये बंदों की,
छीन रहे हो जिंदगी,
फिर भी कहते हो अल्लाह से,
की तुम कर रहे हो बन्दगी,
धर्म हमेशा कहता है,
तुम हर प्राणी का त्राण करो,
हर एक तमन्ना पूरी होगी,
तुम प्राणी मात्र से प्यार करो,
पर कलियुग में तो जीवन का,
मानव ने समझा मोल नहीं,
क्योंकि मानव को खतरा मानव का,
इस खतरे का कोई तोल नहीं।
अनुराधा यादव
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