Tuesday, January 8, 2019

बिखरता देश

जाति-पांति की आंधियों से,
है देश पहले से विकल,
मजबूत जड़ों इनकी से,
नींव देश की हो रही निर्बल,
भेदभाव , ऊंच नीच,
दूरी बढ़ाते लोगों के बीच,
और ग्लानि,द्वेष ,पीड़ा का,
क्रोध,अहम,असहिष्णुता का,
जन्म इससे होता है,
और भारत में खंडता का डर व्याप्त होता है,
फिर भी कुछ प्रशासकों ने,
कुर्सी के याचकों ने,
सवर्ण के टुकड़े किये,
इस जाति व्यवस्था के खंड तो हैं कर दिए,
एक सवर्ण गरीब है तो एक बन गया अमीर,
सवर्णों के बीच में भी खींची है एक लकीर,
अमीर गरीब की खाई को और भी बढ़ा दिया,
उनको लगता है कार्य पावन हमने किया,
है यदि देश को बचाना ,
तो पड़ेगा जाति पांति मिटाना,
जब हम केवल मानव जाति होंगे,
मन में उत्थान के विचार होंगे,
जब सब भारतीयों का साथ होगा,
तभी तो भारत का विकास होगा।

                         -अनुराधा यादव

2 comments:

  1. In kuritiyo ki wjh se india ka aage ni bd pa rha h aaps me hi ld rhe h sb...Hm indian h bs hmari koi jati ni h

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