Tuesday, January 29, 2019

इंसान बन ले

मिला है तन ये मानव का,
थोड़ा उपकार तू कर ले,
जी रहा अहम के मद में,
वही अभिमान तू तज दे,
अनेकों मार्ग जीने के ,
सत्य का मार्ग तू चुन लें,
मानवीयता दिखा कर के,
थोड़ा इंसान तू बन ले।

हिमाकत कर रहा है जो,
थोड़ा उससे तू उबर ले,
सृष्टि पालक के नियमों का,
थोड़ा सम्मान तू कर ले,
यहाँ सब एक जैसे हैं,
सभी से प्रेम तू कर ले,
जिंदगी चार दिन की है,
इसे आनन्द से जी ले।

            -अनुराधा यादव

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