आज सजनी सज रही थी,
प्रेम में वो पग रही थी,
माँग सिंदूर सुहाग का,
जिसमें भरा विश्वास था,
त्याग की मेंहदी रचाई,
नाम प्रियतम के रखाई,
झंकार पायल से आ रही थी,
जो प्रियतम को बुला रही थी,
विनम्रता का पहना है चोला,
प्रेम का चूनर है ओढ़ा,
सज रही थी शांवरी वो
मन में खुश थी बावरी वो,
आश्चर्य से पूंछता है दर्पण,
आज क्यों किया है मेरा दर्शन,
तब तो वह हँस के है बोली,
दिल की बात उसने है बोली,
था गया जो सरहद पर,
मुझ प्रेमिका का प्रेम तज कर,
जंग जीत ली है उसने,
देश को दी है जीत उसने,
आज मेरा है रोमांचित तन मन,
क्योंकि आ रहा है मेरा प्रियतम।
-अनुराधा यादव
Waah waah ......kya khna hai👌👌👌
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