Sunday, January 13, 2019

इंद्रधनुष

काले बादल घिर आये थे,
अँधियारा संग में लाये थे,

गुस्से में वो गरज रहे थे,
रिम-झिम रिम-झिम बरस रहे थे,

तब एक बादल का हुआ गुस्सा शांत,
चला गया वो वहाँ से तुरंत,

सूरज तो अब दिखने लगा था,
किरणें अपनी बिखेरने लगा था,

तभी आसमान में देखा,
प्रकृति का वो दृश्य अनोखा,

सतरंगी जो रंगा था रंग में,
जैसे रंग भरे हों तरंग में,

बहुत ही प्यारा दृश्य मनोहर,
प्रकृति ने रखा है जिसे संजोकर,

चापाकार धनुष के जैसा,
ध्यान में आया मुझको सहसा,

कल शिक्षक ने पढ़ाया जो,
वही तो है ये इंद्रधनुष वो।

                    -अनुराधा यादव

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