है अनोखी और निराली,
इस दुनियां में सबसे प्यारी,
है वो सबकी बड़ी दुलारी,
प्रेम करती है वो सबसे,
सबकी खड़ी सहायक बनके,
कोई चाह न रखती है किसी से,
विश्वास के आभूषणों से सजी है वो,
विवेक और नम्रता में पगी है वो,
स्वतंत्र है पर बन्धन में बंधी है वो,
प्रेम ही बंधन है जिसका,
ध्यान रखती है वो सबका,
हर एक है दोस्त उसका,
चेहरे की मासूमियत से,
साफ स्वच्छ उसकी नियत से,
मैं वाकिफ़ पूरी तरह से,
माता की प्यारी वो दुहिता,
विश्वासमयी उसकी है सुचिता,
वह तो है बहुदर्शिता,
हर कार्य करने में है सक्षम,
निर्णय लेने में वो है उत्तम,
पूर्ण कार्य करने के लिए,करती थोड़ा सा परिश्रम,
इरादों की वो पक्की है,
पर थोड़ी सी जिद्दी है,
वही तो मेरी सिद्दी है।
-अनुराधा यादव
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