है अनोखा एक रिश्ता,
जीवन में आता एक फ़रिश्ता,
विश्वास की एक डोर जिसको,
करती है जीवन में शामिल,
सदमित्र तो विश्वास से ही होता है हासिल।
मित्रता तो प्रेम की अनोखी है दासतां,
जलती है जिसमें विश्वास की हर समां,
कृष्ण और सुदामा ने इसका,
आदर्श किया स्थापित,
विश्वासमयी मित्रता है विश्वासघात की कातिल,
सदमित्र तो विश्वास से ही होता है हासिल।
त्याग और बलिदान की,
मित्रता के मान की,
रक्षा में सहयोग तो है माहिर,
नाराजगी तो होती है पर,
इसमे नफ़रत नहीं है शामिल,
सदमित्र तो विश्वास से ही होता है हासिल।
हर खुशी को बाँटता,
दुःख में तो साथ देता,
पर जीवन की हर घड़ी में जो हो न शामिल,
वो लोग वाकई में मित्रता के न काबिल,
सदमित्र तो विश्वास से ही होता है हासिल।
-अनुराधा यादव
Waah waah...kya khoob likha hai tumne anu...☺☺☺😘😘😘😄😄😄
ReplyDeleteWow amazing😍😍😘
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