Monday, January 14, 2019

हिंदुस्तान

ओ भारत माँ के वीर सपूतो,
तुम आज जी रहे अपने लिये,
भारत माँ तो सिसक रही है,
बेटों के झगड़े के लिए,
इस बैर भाव की अग्नि का,
क्या ज्ञात तुम्हें परिणाम नहीं,
नाम का भारत तो होगा पर विश्व गुरु हिंदुस्तान नहीं।

देश विकास करे कैसे,
जहां एक वर्ग कुवेर बन गया है,
भ्रष्टाचार घोटाले रुके कैसे,
जहाँ चौकीदार ही चोर बन गया है,
देश का विकास अवरुद्ध हुआ,
हो तुम इससे अनजान नहीं,
नाम का भारत तो होगा पर विश्वगुरु हिन्दुस्तान नहीं।

ओ सत्ता के मद में मस्त,
कुछ काम करो भारत के लिए,
अब तो अपनी आंखें खोलो,
जी लो थोड़ा भारत के लिए,
देखो अपनी सत्ता में नैतिक मूल्य ही क्या,
क्या मर रहा इंसान नहीं,
नाम का भारत तो होगा पर विश्वगुरू हिंदुस्तान नहीं।
    
                                      -अनुराधा यादव

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