है मुझे जिस लक्ष्य को पाने की चेष्ठा,
जिस लक्ष्य से उद्देश्य तक पहुंचने की मनसा,
उस लक्ष्य की एक और सीढ़ी,
जो कठिन नहीं बस है थोड़ी सी सीधी,
आज चढ़ने जा रही,
लक्ष्योन्मुखी मैं खुद को आज खुश पा रही,
तैयार हूँ मैं कमर कस कर,
गुरु और माता-पिता का आशीष लेकर।...................
- अनुराधा यादव
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