रात अंधेरी इठला रही थी,
सबको अपना बना रही थी,
तिमि तो ऐसे छा रहा था,
मानो कभी न जाना था,
चौथा पहर जब बीता है,
तिमि को लगा वह जीता है,
पर काल ऊषा का आया है,
ज्योति का संदेश लाया है,
तिमि तो हार मानकर,
अपना समय न जानकर,
गुम गया ऊषा काल में,
तब आँख खोली सूरज ने इस संसार में,
उज्ज्वल, तेज, प्रकाश से संसार प्रकाशवान हुआ,
संसार के हर जीव में सक्रियता का संचार हुआ।
-अनुराधा यादव
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