आज भी सुबह हुई जब,
धरा उज्जवलित हुई जब,
माता के लाल ने जब आंख खोली,
होंठो पे मुस्कान थी बोलता तोतली बोली,
माता तो खुश थी लाल की शरारतों पर,
मांग उसकी रहती थी उसके सर आंखों पर,
पापा का प्राणों प्यारा,
माता की आंखों का तारा,
छीन लिया भगवान ने,
वो घर का सितारा,
माता अनजान थी,
छिन गया था लाल उसका,
इस बात को न मानती,
जिस बगीचे के फूल को,
सींचती थी बनके माली,
वो फूल उसकी गोद को,
कब कर गया था खाली,
पागल हो रही माता ,
उसको न कुछ सुहाता,
बस एक रट लगाए है,
लाला तू एक बार बस गोद में आजा.................।
-अनुराधा यादव
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