Monday, January 7, 2019

नेता देश के भक्षक

आजाद भगत की कुर्बानी से,
विस्मिल अशफाक की जिंदगानी से ,
इस देश ने आजादी पाई,
पर इस देश के नेताओं ने,
इसकी कद्र कभी न कर पाई।

किसके घर में चूल्हा न जला,
सोचता है कोई क्या नेता भला,
होकर शिकार कुपोषण के ,
रोज मर रहे लाल और माई,
इन भारत माँ के प्यारों की,
नेताओं को सुधि कभी न आई।

वो कुर्सी के दीवाने,
कार्य करें सब मनमाने,
पद पाने के लिए आज तो,
जूझ रहे है भाई-भाई,
भारत मां के लिए ज्यादा,
इससे क्या होगा दुखदाई।

पदवी जब मिल जाती है,
तब भरी तिजोरियां जातीं हैं,
घोटाला करते हैं ये सब,
खा जाते हैं पाई - पाई,
जूझ रही इस भारत माँ पर,
निर्दयियों को दया न आई।

वीर शहीद होते सीमा पर,
निज देश की रक्षा करते अपना लहू बहाकर,
इन वीरों की शहादत पर,
हर एक की आंखें भर आईं,
पर नेताओं की गद्दारी ने,
वीरों की शहादत बेकार गंवाई।

                   -अनुराधा यादव

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