हमें संघर्षशाला से ,
निकल जाना ही अच्छा था,
मशक्कत की थी बंधने की,
पर बिखर जाना ही अच्छा था,
बिखरते सद्गुणों को अब,
प्रसारित और हम करते,
सीखते लोग गुणों से जब,
देशहित में वो अच्छा था।
हमारे देश की संस्कृति ,
बनी रहती तो अच्छा था,
विश्वगुरुता भारत की ,
बनी रहती तो अच्छा था,
कोई हिन्दू, कोई मुस्लिम,
मजहबी देश भारत ये,
हमारे सद्गुणों से ये,
संभल जाता तो अच्छा था।
-अनुराधा यादव