उड़ रही हूँ आज खुश हो,
हूँ लिए मैं साथ सुख को,
लक्ष्य पूरा हो गया,
नीड़ मेरा बन गया।
होगी वारि से सिंचित धरा जब,
शरण इसमें लूंगी मैं तब,
आसरा एक बन गया,
नीड़ मेरा बन गया।
चारों दिशाएं जब कंपेंगी,
कोहरे में खुद को ढंकेंगी,
उसके लिए ये त्राण मेरा बन गया,
नीड़ मेरा बन गया।
-अनुराधा यादव
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