Thursday, April 4, 2019

जाग रे

जाग रे प्राणी जगत में,
कर ले कुछ रहते वखत में,
रेत सी इस जिंदगी में,
उस खुदा की बंदिगी में,
जी ले तू इस जिंदगी को,
वरना उलझेगी नखत में,
जाग रे प्राणी जगत में।

मैं जिंदगी से दूर कर दे,
जो जिंदगी को नष्ट कर दे,
जिससे उद्गम हो क्रोध का,
काया जीर्णित हो फ़क़त में,
जाग रे प्राणी जगत में।

पालन कर तू सत्य निष्ठा प्रेम का,
हर एक व्रत और नेम का,
अच्छाई को पहचान ले,
न भूल के तू परख में,
जाग रे प्राणी जगत में,
कर ले कुछ रहते वखत में।

                  अनुराधा यादव

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