ब्रह्मांड के हर नियम की,
हर चीज के संयम की,
संचालक एक शक्ति है,
निराकार वो शक्ति,
कृपा कर दे तो समझो मुक्ति है।
चराचर का प्राणी कोई,
नियम भंग करता कोई,
कठोर मिलता दंड है,
निराकार वो शक्ति,
कृपा कर दे तो समझो मुक्ति है।
मान ले जिस रूप में,
साकार बनती अनुरूप में,
सच्ची तेरी यदि भक्ति है,
निराकार वो शक्ति ,
कृपा कर दे तो समझो मुक्ति है।
उसकी अपार क्षमता का,
सभी के लिए समता का,
कायल तो हर एक व्यक्ति है,
निराकार वो शक्ति ,
कृपा के दे तो समझो मुक्ति है।
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