Thursday, April 4, 2019

लोकतंत्र का महापर्व

लोकतंत्र के देश में महापर्व का उत्साह,
हर एक प्रान्त और शहर में रैलियों का प्रवाह,
कोई कहता विकास होगा,
अत्याचार का विनाश होगा,
कोई तो गरीबी हटाने को,
अपनी सरकार बनाने को,
दे रहा प्रलोभन जनता को,
जाति पांति को अपना कर,
दे रहा चुनौती समता को,
हर दल के नेता आशा से,
जनता की तरफ देखते हैं,
पर शांत, आनन्दित जनमानस,
निज मन का भेद न खोलते हैं,
किसी को इसका भान नही,
परिणामों का ज्ञान नहीं,
फिर भी हर दल पहले से ही,
अपना बहुमत बतलाता है,
हर नेता इस समय दुविधा में,
अपना ये समय बिताता है।
                      -अनुराधा यादव

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