Friday, March 8, 2019

चूड़ियाँ

सुहागिनों की एक निशानी,
पहनतीं इनको दीवानी,
बावरी वो प्रेम में,
निष्ठा है व्रत नेम में,
सोलह श्रृंगार में है सजी,
रति रूप की महिमा घटी,
जब हैं लखी ये चूड़ियाँ,
दैदीप्य थी वो चूड़ियाँ,
सजनी का श्रृंगार है,
और हाथों का सरताज हैं,
दुल्हन के जब हाथ खनके,
लगता है मणि और मनके,
यदि पड़े नर को पहनानी,
तो वो है कायरता की निशानी।

                 -अनुराधा यादव

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