Saturday, March 2, 2019

घड़ी बताए

टिक टिक करती रहे रात दिन,
हमें बताये हर पल हर क्षण,
सुबह सबेरे हमसे बोले,
समय हुआ अब जगने का,
वह प्यारा स्वप्न छोड़ने का,
सही समय पर उठे आज हम,
कुल्ला दातून किये आज हम,
अब कहने लगी घड़ी थी मुझसे,
समय हुआ विद्यालय जाने का,
विद्या धन अर्जित करने का,
कर रहे थे हम जब हँसी ठिठोली,
बच्चे थे सारे हमजोली,
तभी घड़ी ने हमें बताया,
समय हुआ अब पढ़ने का,
अपना कर्तव्य समझने का,
करी पढ़ाई खाना खाया,
तभी घड़ी ने हमें बताया,
समय हुआ अब सोने का,
सपनों के देश में जाने का,
टिक टिक करती रहे रात दिन,
हमें बताये हरपल हर क्षण।

                 -अनुराधा यादव

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