सत्य शिव है, शिव है सुंदर,
नीलकंठ वो चन्द्रशेखर,
हाथ डमरू भुजंग माला,
शीश पर गंगा की धारा,
भस्मी रमाए देह पर,
रहता वो कैलाश पर,
नंदी सवारी है लिये,
सिर चंद्र धारण है किये,
हलाल विष तो पी लिया,
और धरती का तारण किया,
गौरी उसकी शक्ति है,
विश्वास उसका भक्ति है,
संसार में जग त्राण वो,
संहारकर्ता मान वो,
बेलपत्र,भांग चूर का,
रसपान करता धतूर का,
पहने वो बाघ की छाल है,
लटधारी वो महाकाल है।
-अनुराधा यादव
No comments:
Post a Comment