साल और बीता एक जिंदगी का,
कुछ दुःख और कुछ समय था जिसमें खुशी का,
जीवन तो सुख - दुःख का है एक जाल,
पर जीने की नई उमंगें लेकर आया नया साल।
काम करो तुम अपनी दम पर,
छोड़ो न उसको तुम किस्मत पर,
लक्ष्य को पूरा करने का रखो अपने मन में ख्याल,
क्योंकि जीने की नई उमंगें लेकर आया नया साल।
बदलाव की हमें जरूरत,
जो है इस समाज का पूरक,
इस समाज की सच्ची मूरत बनाना है हमें बड़ी संभाल,
क्योंकि जीने की नई उमंगें लेकर आया नया साल।
हर प्राणी के रक्षक बन के,
और वृक्षों के सहायक बन के,
वितरित करो खुशियां, सजा कर थाल,
क्योंकि जीने की नई उमंगें लेकर आया नया साल।
इस वर्ष को आशा से भर दो,
सबके जीवन में ख़ुशी का घर कर दो,
प्रेम भावना से शोभित हो यह आकाश और पाताल,
क्योंकि जीने की नई उमंगें लेकर आया नया साल।
-अनुराधा यादव
Bahut khub anu
ReplyDeleteBahut khub anu
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