Friday, December 28, 2018

पानी

प्राण,जीवन, अमृत जो,
जीवन में समरथ वो,
जिस पर तो निर्भर है जीवों की जिंदगानी,
उस बसुधा के द्रव्य को कहते हैं पानी।

बारिदों से वारि आता,
जो बसुधा की प्यास बुझाता,
बसुधा तो बन गई है अब सुहानी,
उस बसुधा के द्रव्य को कहते हैं पानी।

जलचर,थलचर और नभचर सब प्राणी,
जल तो है उनके जीवन की तरणी,
फिर भी तो मानव ने उसकी कीमत न जानी,
उस बसुधा के द्रव्य को कहते हैं पानी।

उस अमृत को मानव ने विष में तो बदला है,
फिर भी तो मानव न गलतियां सुधारता है,
मानव तो कर रहा है इसकी प्रतिदिन हानी,
उस बसुधा के द्रव्य को कहते हैं पानी।

                            - अनुराधा यादव

No comments:

Post a Comment