जो है विहित वो वहन कर ले,
दुःख दर्द यहां का सहन कर ले,
निज क्षमता का आंकलन कर ले,
रोष द्वेष का दमन कर दे,
और निज जीवन तू सुगम कर ले।
यदि पुरुषार्थ प्रेम का अनुगमन कर ले,
तो पथ का हर शूल सुमन कर ले,
यदि मातपिता को नमन कर ले,
तो वसुधा पर स्वर्ग का दर्शन कर ले,
और निज जीवन तू सुगम कर ले।
अपनी गलती पे मनन कर ले,
पराये दर्द पे तनिक चिंतन कर ले,
हर वक़्त तू इतना जतन कर ले,
कि हर एक का मन तू मगन कर ले,
और निज जीवन तू सुगम कर ले।
-अनुराधा यादव
No comments:
Post a Comment