Saturday, June 22, 2019

दोष तकदीर का

करता निराले काम तू,
जिनके न जानता परिणाम तू,
देखकर परिणाम,
जब कष्ट होता ज़मीर को,
देता तू दोष तब तक़दीर को।

सुरा व धूम्र पान से,
वेवक़्त खानपान से,
रोगों का घर बनाया शरीर को,
दे रहा तू दोष अब तकदीर को।

अमीरी के मद में,
रंगा रहा निजता के रंग में,
स्व की भावना लिए,
तोड़ता रहा रिश्तों की जंजीर को,
दे रहा तू दोष अब तकदीर को।

                     - अनुराधा यादव

Saturday, June 15, 2019

पापा

दुनियां में वो सबसे न्यारे,
पापा मेरे सबसे प्यारे।

अंगुली पकड़ के चलना सिखाया,
और हमें उड़ना सिखलाया,
इस दुनियां से लड़ने के,
दांव पेंच सिखाये सारे,
पापा मेरे सबसे प्यारे।

पापा ने हमे पंख दिए हैं,
मन में ये विश्वास किये हैं,
खुले आसमां में उड़ करके,
साकार करेगी सपने सारे,
पापा मेरे सबसे प्यारे।

दुनियां की दी खुशी प्रत्येक,
करके अपना रात दिन एक,
मुझको तो इस लायक बनाया,
में चमकूँ बन हजारों तारे,
पापा मेरे सबसे प्यारे।

              -  अनुराधा यादव

Friday, June 14, 2019

हँस के जी ले तू ज़रा

चार दिन की ज़िंदगानी,
हँस के जी ले  तू ज़रा।

संसार में चारो तरफ,
आहट हुँ सुनती आह की,
दर्द है जो आह में,
उसको समझले तू ज़रा,
चार दिन की ज़िंदगानी,
हँस के जी ले तू ज़रा।

प्रेम तो इस ज़िन्दगी की,
नीव है, आधार है,
विश्वास का भवन निर्माण करके,
सच की डगर चल ले ज़रा,
चार दिन की ज़िंदगानी ,
हँस के जी ले तू ज़रा।

है तेरा संसार जिससे,
वो निज अस्तित्व के लिए लड़ रहीं,
निर्भय हो जियें यहां बेटियां,
ऐसा जतन कर ले ज़रा,
चार दिन की ज़िंदगानी,
हँस के जी ले तू ज़रा।

           -अनुराधा यादव

Tuesday, June 11, 2019

आज का सच

नफरतों की आग में झुलस रहा समाज है,

विनाश इसका इस तरह कल नहीं आज है,

स्वार्थता की अब यहाँ न रही तादात है,

अपने मतलब के बिना,कोई न सुनता दर्द की आवाज है,

कौन आज मित्र है कौन दगाबाज है ,

फर्क करना हो गया बहुत मुश्किल आज है,

प्राथमिकता दे रहा जिसको तू आज है,

छोड़ देगा कल तेरा वही मुश्किल में हाथ है,

सबको तो है लगी खुदगर्ज़ी की प्यास है,

इस लिए तू कर ले खुद से प्रयास है,

सहयोग करना बन गया ताने और अहसान का प्रयाग है,

इस समाज से हो गया सहानुभूति का ह्रास है।

                                   -अनुराधा यादव

Monday, June 10, 2019

विहरिणी

चहुँ ओर छिटकती धवल चांदनी,
वो रम्य सुहानी पतित पावनी,
पर शांत दुखित रैना है वो,
करती स्वतंत्र विहार है जो,
क्योंकि उस विहरिणी नारी का ,
उसकी तो दुनियां सारी का,
तारनहारा , पालनहारा,
प्रेमी जो था सबसे प्यारा,
जो गया यहां से वर्षों से,
कह गया था आएंगे परसों में,
वापस न हुआ क्यों अब तक है,
बस यही सोचती हर पल है,
बैठी है झरोखे पे बिखरे है केश,
इंतजार करे वो निर्मिमेष,
रैना बीत रहीं लेकिन,
प्रियतम न आता जो गया परदेश।

                         -अनुराधा यादव

Friday, June 7, 2019

झलक दीवानगी की

सारी खुशी है जिंदगी की,
सम्पूर्णता है सादगी की,
न जगह है बानगी की,
बस थोड़ी जरूरत है यहाँ,
विश्वास धैर्य और शांती की,
बस है यह थोड़ी झलक दीवानगी की।

                          -अनुराधा यादव

Thursday, June 6, 2019

जीवन का निकाय

जिंदगी संघर्ष का ही तो एक पर्याय है,

धैर्य जिंदगी का एक निश्चित उपाय है,

पुरषार्थ, जीने के लिये ,जिंदगी में एक सहाय है,

पितु मात की सेवा कर, जीने गुर गुरु ने सिखाए हैं,

संघर्ष, धैर्य, सेवा,पुरुषार्थ जीवन का एक निकाय है।

                                   -अनुराधा यादव